Wednesday 25 May 2022

कविता. ४४५२. सरगम संग खयालों कि।

                          सरगम संग खयालों कि।

सरगम संग खयालों कि लहर इशारे देती है उम्मीदों को आवाजों कि धून एहसास सुनाती है तरानों से दिशाओं कि उमंग पहचान जगाती है।

सरगम संग खयालों कि उम्मीद सपना देती है कदमों को दास्तानों कि सुबह कोशिश सुनाती है नजारों से अफसानों कि सौगात पहचान जगाती है।

सरगम संग खयालों कि सोच कोशिश देती है बदलावों को इशारों कि परख आस सुनाती है जज्बातों से मुस्कान कि रोशनी पहचान जगाती है।

सरगम संग खयालों कि उमंग अरमान देती है किनारों को आशाओं कि राह अल्फाज सुनाती है लम्हों से दास्तानों कि सुबह पहचान जगाती है।

सरगम संग खयालों कि सौगात तराने देती है नजारों को अदाओं कि समझ बदलाव सुनाती है राहों से आवाजों कि धून पहचान जगाती है।

सरगम संग खयालों कि राह एहसास देती है सपनों को इरादों कि तलाश अफसाना सुनाती है उजालों से अंदाजों कि पुकार पहचान जगाती है।

सरगम संग खयालों कि सोच बदलाव देती है कदमों को दास्तानों कि सोच इरादा सुनाती है किनारों से आशाओं कि परख पहचान जगाती है।

सरगम संग खयालों कि सुबह आवाज देती है तरानों को अंदाजों कि रोशनी पुकार सुनाती है अदाओं से आवाजों कि सौगात पहचान जगाती है।

सरगम संग खयालों कि लहर इरादा देती है उम्मीदों को आवाजों कि धून मुस्कान सुनाती है नजारों से जज्बातों कि कोशिश पहचान जगाती है।

सरगम संग खयालों कि उमंग तराना देती है एहसासों को अदाओं कि पुकार उम्मीद सुनाती है आशाओं से अरमानों कि धाराएं पहचान जगाती है।

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कविता. ५१६६. कोशिश की कहानी अक्सर।

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