Sunday, 15 May 2022

कविता. ४४४२. उजियारे संग आशाओं कि।

                          उजियारे संग आशाओं कि।

उजियारे संग आशाओं कि लहर आस सुनाती है तरानों के उम्मीदों कि सोच अरमान जगाती है कदमों को बदलावों कि उमंग खयाल दिलाती है।

उजियारे संग आशाओं कि मुस्कान पुकार सुनाती है राहों के एहसासों कि तलाश कोशिश जगाती है किनारों को अंदाजों कि लहर खयाल दिलाती है।

उजियारे संग आशाओं कि कोशिश बदलाव सुनाती है आवाजों के लम्हों कि सौगात सपना जगाती है नजारों को एहसासों कि सोच खयाल दिलाती है।

उजियारे संग आशाओं कि सरगम एहसास सुनाती है लहरों के अफसानों कि पहचान राह जगाती है जज्बातों को दिशाओं कि कहानी खयाल दिलाती है।

उजियारे संग आशाओं कि सौगात तलाश सुनाती है दास्तानों के राहों कि कहानी सुबह जगाती है अदाओं को उम्मीदों कि सौगात खयाल दिलाती है।

उजियारे संग आशाओं कि परख कोशिश सुनाती है अदाओं के सपनों कि पुकार अल्फाज जगाती है तरानों को किनारों कि परख खयाल दिलाती है।

उजियारे संग आशाओं कि रोशनी आस सुनाती है किनारों के अंदाजों कि मुस्कान आवाज जगाती है दास्तानों को अरमानों कि धाराएं खयाल दिलाती है।

उजियारे संग आशाओं कि सोच आवाज सुनाती है नजारों के अदाओं कि समझ बदलाव जगाती है लहरों को अफसानों कि पहचान खयाल दिलाती है।

उजियारे संग आशाओं कि राह किनारा सुनाती है अंदाजों के इरादों कि तलाश अफसाना जगाती है राहों को किनारों कि सुबह खयाल दिलाती है।

उजियारे संग आशाओं कि पहचान इशारा सुनाती है राहों के अरमानों कि धाराएं अंदाज जगाती है उम्मीदों को दास्तानों कि सोच खयाल दिलाती है।

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कविता. ५४७२. ज्ञएहसास की कोई।

                           एहसास की कोई। एहसास की कोई पुकार तलाश दिलाती है कदमों को जज्बातों की आहट उजाला देकर जाती है अरमानों की आस सुनाती ...