Monday 9 May 2022

कविता. ४४३६. किनारों संग आवाज नयी।

                               किनारों संग आवाज नयी।

किनारों संग आवाज नयी सोच देती है कदमों को दास्तानों कि मुस्कान उजाला देती है तरानों को अंदाजों कि कोशिश पहचान देकर चलती है।

किनारों संग आवाज नयी तलाश देती है नजारों को एहसासों कि सुबह सरगम देती है लहरों को अफसानों कि सौगात बदलाव देकर चलती है।

किनारों संग आवाज नयी आस देती है दिशाओं को उजालों कि परख अरमान देती है उजालों को अल्फाजों कि सरगम आवाज देकर चलती है।

किनारों संग आवाज नयी रोशनी देती है जज्बातों को सपनों कि सौगात आस देती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग अहमियत देकर चलती है।

किनारों संग आवाज नयी कोशिश देती है राहों को नजारों कि तलाश खयाल देती है जज्बातों को दिशाओं कि मुस्कान पहचान देकर चलती है।

किनारों संग आवाज नयी सरगम देती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अंदाज देती है उम्मीदों को लहरों कि पहचान पुकार देकर चलती है।

किनारों संग आवाज नयी सौगात देती है उम्मीदों को दास्तानों कि सुबह कोशिश देती है तरानों को अंदाजों कि लहर एहसास देकर चलती है।

किनारों संग आवाज नयी लहर देती है तरानों को अंदाजों कि सरगम खयाल देती है आशाओं को लम्हों कि सोच कोशिश देकर चलती है।

किनारों संग आवाज नयी मुस्कान देती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग अरमान देती है कदमों को आवाजों कि धून सौगात देकर चलती है।

किनारों संग आवाज नयी तलाश देती है कदमों को इरादों कि मुस्कान रोशनी देती है उजालों को अल्फाजों कि सरगम अरमान देकर चलती है।


 

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