Friday, 27 May 2022

कविता. ४४५४. मुस्कान अक्सर।

                                  मुस्कान अक्सर।

मुस्कान अक्सर इशारे देकर जाती है जज्बातों को दिशाओं कि पहचान तलाश दिलाती है सपनों कि सरगम अक्सर एहसास सुनाती है।

मुस्कान अक्सर उजाले देकर जाती है कदमों को दास्तानों कि सुबह अरमान दिलाती है नजारों कि तलाश अक्सर एहसास सुनाती है।

मुस्कान अक्सर तराने देकर जाती है किनारों को आशाओं कि परख अहमियत दिलाती है दास्तानों कि सौगात अक्सर एहसास सुनाती है।

मुस्कान अक्सर नजारे देकर जाती है तरानों को अंदाजों कि लहर अफसाना दिलाती है आवाजों कि धून अक्सर एहसास सुनाती है।

मुस्कान अक्सर राहे देकर जाती है अरमानों को लम्हों कि कहानी लहर दिलाती है अंदाजों कि पहचान अक्सर एहसास सुनाती है।

मुस्कान अक्सर लहरे देकर जाती है आवाजों को किनारों कि पुकार अल्फाज दिलाती है खयालों कि उम्मीद अक्सर एहसास सुनाती है।

मुस्कान अक्सर दास्ताने देकर जाती है अदाओं को सपनों कि परख अरमान दिलाती है लहरों कि अहमियत अक्सर एहसास सुनाती है।

मुस्कान अक्सर किनारे देकर जाती है बदलावों को उम्मीदों कि सौगात इरादा दिलाती है कदमों कि सुबह अक्सर एहसास सुनाती है।

मुस्कान अक्सर अफसाने देकर जाती है कदमों को दास्तानों कि सुबह कोशिश दिलाती है नजारों कि आस अक्सर एहसास सुनाती है।

मुस्कान अक्सर सहारे देकर जाती है जज्बातों को आवाजों कि धून बदलाव दिलाती है सपनों कि पुकार अक्सर एहसास सुनाती है।

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