Saturday 14 May 2022

कविता. ४४४१. आशाओं संग अदाओं कि।

                         आशाओं संग अदाओं कि।

आशाओं संग अदाओं कि कोशिश अरमान जगाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग सुबह दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट तराना देती है।

आशाओं संग अदाओं कि समझ पहचान जगाती है किनारों को अंदाजों कि मुस्कान सरगम दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात तराना देती है।

आशाओं संग अदाओं कि सोच इरादा जगाती है कदमों को दास्तानों कि सौगात बदलाव दिलाती है आवाजों को उजालों कि धाराएं तराना देती है।

आशाओं संग अदाओं कि सुबह परख जगाती है लम्हों को अरमानों कि तलाश खयाल दिलाती है सपनों को नजारों कि सरगम तराना देती है।

आशाओं संग अदाओं कि सौगात पुकार जगाती है जज्बातों को बदलावों कि सोच इरादा दिलाती है कदमों को आवाजों कि धून तराना देती है।

आशाओं संग अदाओं कि मुस्कान लहर जगाती है इरादों को राहों कि रोशनी अरमान दिलाती है लम्हों को अल्फाजों कि सोच तराना देती है।

आशाओं संग अदाओं कि कोशिश बदलाव जगाती है खयालों को उम्मीदों कि सौगात परख दिलाती है इशारों को अरमानों कि पहचान तराना देती है।

आशाओं संग अदाओं कि रोशनी खयाल जगाती है किनारों को अंदाजों कि मुस्कान आवाज दिलाती है सपनों को नजारों कि सरगम तराना देती है।

आशाओं संग अदाओं कि तलाश सरगम जगाती है दास्तानों को आवाजों कि धून एहसास दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि राह तराना देती है।

आशाओं संग अदाओं कि सुबह उमंग जगाती है कदमों को दास्तानों कि कोशिश इशारा दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि सोच तराना देती है।

 

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