Saturday 7 May 2022

कविता. ४४३४. उजालों को अल्फाजों कि सोच।

                         उजालों को अल्फाजों कि सोच।

उजालों को अल्फाजों कि सोच इरादा सुनाती है अरमानों से आशाओं कि मुस्कान रोशनी जगाती है कदमों को दास्तानों कि आस तलाश देकर चलती है।

उजालों को अल्फाजों कि सोच खयाल सुनाती है नजारों से अफसानों कि सरगम सुबह जगाती है लहरों को आशाओं कि मुस्कान तलाश देकर चलती है।

उजालों को अल्फाजों कि सोच कोशिश सुनाती है राहों को अरमानों कि धाराएं अंदाज जगाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग तलाश देकर चलती है।

उजालों को अल्फाजों कि सोच किनारा सुनाती है अदाओं को लम्हों कि सोच एहसास जगाती है नजारों को आवाजों कि सरगम तलाश देकर चलती है।

उजालों को अल्फाजों कि सोच आस सुनाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग अरमान जगाती है दास्तानों को बदलावों कि पहचान तलाश देकर चलती है।

उजालों को अल्फाजों कि सोच पुकार सुनाती है बदलावों को इशारों कि परख पहचान जगाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून तलाश देकर चलती है।

उजालों को अल्फाजों कि सोच उम्मीद सुनाती है राहों को एहसासों कि सौगात आस जगाती है बदलावों को उमंग कि उड़ान तलाश देकर चलती है।

उजालों को अल्फाजों कि सोच सरगम सुनाती है कदमों को दास्तानों कि मुस्कान रोशनी जगाती है तरानों को अंदाजों कि पहचान तलाश देकर चलती है।

उजालों को अल्फाजों कि सोच बदलाव सुनाती है नजारों को आवाजों कि धून कोशिश जगाती है रोशनी को लहरों कि पुकार तलाश देकर चलती है।

उजालों को अल्फाजों कि सोच सपना सुनाती है खयालों को उम्मीदों कि सौगात पुकार जगाती है कदमों को दास्तानों कि सुबह तलाश देकर चलती है।

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