Sunday 22 May 2022

कविता. ४४४९. सपनों को खयालों कि।

                                सपनों को खयालों कि।

सपनों को खयालों कि पुकार इशारा देती है तरानों को अंदाजों कि लहर आवाज दिलाती है कदमों को तलाश देकर जाती है।

सपनों को खयालों कि उम्मीद आवाज देती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना दिलाती है अदाओं को बदलाव देकर जाती है।

सपनों को खयालों कि सोच इरादा देती है इरादों को आशाओं कि मुस्कान रोशनी दिलाती है कोशिश को अल्फाज देकर जाती है।

सपनों को खयालों कि उमंग अरमान देती है कदमों को दास्तानों कि सुबह आस दिलाती है लम्हों को नजारा देकर जाती है।

सपनों को खयालों कि सरगम आस देती है राहों को अरमानों कि धाराएं अंदाज दिलाती है जज्बातों को दिशा देकर जाती है।

सपनों को खयालों कि सौगात पहचान देती है कोशिश को राहों कि मुस्कान उजाला दिलाती है नजारों को पहचान देकर जाती है।

सपनों को खयालों कि तलाश आवाज देती है किनारों को आशाओं कि परख पहचान दिलाती है इशारों को आस देकर जाती है।

सपनों को खयालों कि सोच इरादा देती है आशाओं को अंदाजों कि पुकार अल्फाज दिलाती है अदाओं को बदलाव देकर जाती है।

सपनों को खयालों कि उमंग अरमान देती है रोशनी को आवाजों कि धून एहसास दिलाती है दिशाओं को उजाला देकर जाती है।

सपनों को खयालों कि सरगम सहारा देती है दास्तानों को इशारों कि पहचान मुस्कान दिलाती है कदमों को अहमियत देकर जाती है।

 

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