Friday 20 May 2022

कविता. ४४४७. किनारों कि तलाश अक्सर।

                        किनारों कि तलाश अक्सर।

किनारों कि तलाश अक्सर पहचान सुनाती है तरानों को उम्मीदों कि कोशिश अरमान जगाती है जज्बातों से कदमों कि आहट जज्बात सुनाती है।

किनारों कि तलाश अक्सर अल्फाज सुनाती है नजारों को अंदाजों कि मुस्कान बदलाव जगाती है अरमानों से आशाओं कि सोच जज्बात सुनाती है।

किनारों कि तलाश अक्सर परख सुनाती है अदाओं को लम्हों कि पहचान खयाल जगाती है लहरों से दास्तानों कि सुबह जज्बात सुनाती है।

किनारों कि तलाश अक्सर आस सुनाती है दिशाओं को उजालों कि परख अरमान जगाती है अफसानों से आवाजों कि धून जज्बात सुनाती है।

किनारों कि तलाश अक्सर सौगात सुनाती है लहरों को दास्तानों कि सौगात एहसास जगाती है अदाओं से नजारों कि पहचान जज्बात सुनाती है।

किनारों कि तलाश अक्सर सपना सुनाती है राहों को कोशिश कि सरगम कोशिश जगाती है नजारों से उजालों कि परख जज्बात सुनाती है।

किनारों कि तलाश अक्सर नजारा सुनाती है अंदाजों को लहर कि पुकार अल्फाज जगाती है दिशाओं से अरमानों कि धाराएं जज्बात सुनाती है।

किनारों कि तलाश अक्सर पुकार सुनाती है उजालों को अफसानों कि राह मुस्कान जगाती है दास्तानों से खयालों कि उम्मीद जज्बात सुनाती है।

किनारों कि तलाश अक्सर रोशनी सुनाती है तरानों को अदाओं कि समझ आवाज जगाती है बदलावों से आशाओं कि परख जज्बात सुनाती है।

किनारों कि तलाश अक्सर आवाज सुनाती है राहों को एहसासों कि सौगात एहसास जगाती है कदमों से अफसानों कि पुकार जज्बात सुनाती है।

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