Thursday, 26 May 2022

कविता. ४४५३. आवाज को लहरों कि।

                              आवाज को लहरों कि।

आवाज को लहरों कि मुस्कान कोशिश सुनाती है नजारों को एहसासों कि सरगम पुकार दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना देती है।

आवाज को लहरों कि पुकार अल्फाज सुनाती है तरानों को अंदाजों कि मुस्कान अरमान दिलाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग अफसाना देती है।

आवाज को लहरों कि परख पहचान सुनाती है सपनों को नजारों कि तलाश अहमियत दिलाती है दास्तानों को अंदाजों कि सौगात अफसाना देती है।

आवाज को लहरों कि सरगम सरगम सुनाती है राहों को किनारों कि पुकार बदलाव दिलाती है अदाओं को खयालों कि उम्मीद अफसाना देती है।

आवाज को लहरों कि सोच इरादा सुनाती है जज्बातों को धाराओं कि सौगात आस दिलाती है राहों को किनारों कि सोच अफसाना देती है।

आवाज को लहरों कि कोशिश आस सुनाती है नजारों को एहसासों कि तलाश कहानी दिलाती है सपनों को खयालों कि उमंग अफसाना देती है।

आवाज को लहरों कि सौगात तराना सुनाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अंदाज दिलाती है बदलावों को इशारों कि समझ अफसाना देती है।

आवाज को लहरों कि दास्तान राह सुनाती है अल्फाजों को बदलावों कि उमंग आस दिलाती है खयालों को उम्मीदों कि सौगात अफसाना देती है।

आवाज को लहरों कि सोच कोशिश सुनाती है सपनों को इशारों कि पहचान मुस्कान दिलाती है दिशाओं को उजालों कि परख अफसाना देती है।

आवाज को लहरों कि सुबह नजारा सुनाती है राहों को अरमानों कि धाराएं अंदाज दिलाती है लम्हों को कदमों कि तलाश अफसाना देती है।

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