Saturday 30 April 2022

कविता. ४४२८. आशाओं को एहसासों कि।

                        आशाओं को एहसासों कि।

आशाओं को एहसासों कि तलाश सरगम सुनाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग अरमान दिलाती है लम्हों को कदमों कि सोच इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि मुस्कान कोशिश सुनाती है तरानों को उम्मीदों कि रोशनी सरगम दिलाती है जज्बातों को दिशाओं कि राह इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि आस अल्फाज सुनाती है अफसानों को अंदाजों कि परख खयाल दिलाती है बदलावों को अदाओं कि समझ इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि पहचान किनारा सुनाती है लम्हों को कदमों कि तलाश आवाज दिलाती है सपनों को अल्फाजों कि सुबह इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि सरगम सपना सुनाती है लहरों को खयालों कि उम्मीद आस दिलाती है दिशाओं को उजालों कि सौगात इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि परख पहचान सुनाती है खयालों को जज्बातों कि सोच आस दिलाती है आवाजों को तरानों कि रोशनी इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि सौगात पुकार सुनाती है राहों को किनारों कि सुबह अरमान दिलाती है अंदाजों को खयालों कि सरगम इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि आवाज खयाल सुनाती है नजारों को अदाओं कि सौगात बदलाव दिलाती है तरानों को किनारों कि कोशिश इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि राह उमंग सुनाती है जज्बातों को दिशाओं कि समझ पहचान दिलाती है कदमों को आवाजों कि धून इरादा देकर जाती है।

आशाओं को एहसासों कि सोच अंदाज सुनाती है बदलावों को खयालों कि सरगम सपना दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं इरादा देकर जाती है।

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