Sunday 24 April 2022

कविता. ४४२२. एक पुकार कि उम्मीद अक्सर।

                       एक पुकार कि उम्मीद अक्सर।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर अहम रहती है आशाओं संग मुस्कान इशारों कि कहानी कहती है अरमानों को जज्बातों कि पहचान तलाश दिलाती है। 

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर लहर बन जाती है जज्बातों संग राह एहसासों कि सरगम कहती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर रोशनी देकर जाती है दिशाओं संग परख खयालों कि कोशिश कहती है अंदाजों को इशारों कि सोच सौगात दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर आस सुनाती है लहरों संग पहचान किनारों कि सोच कहती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग अरमान दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर कोशिश देकर रहती है अंदाजों संग सोच कदमों कि आहट कहती है सपनों को नजारों कि आस अल्फाज दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर खयाल दे जाती है आशाओं संग सुबह बदलावों कि सरगम कहती है तरानों को किनारों कि पहचान दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर तलाश सुनाती है नजारों संग मुस्कान खयालों कि लहर कहती है अदाओं को लम्हों कि अहमियत दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर बदलाव देकर जाती है इशारों संग राह आशाओं कि सौगात कहती है राहों को अरमानों कि धाराएं दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर सुबह दे जाती है खयालों संग समझ आवाजों कि धून कहती है दिशाओं को बदलावों कि कोशिश दिलाती है।

एक पुकार कि उम्मीद अक्सर आस सुनाती है उजालों संग आस अंदाजों कि राह कहती है अल्फाजों को तरानों कि सरगम दिलाती है।


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