Friday 29 April 2022

कविता. ४४२७. उजालों को अल्फाजों कि।

                             उजालों को अल्फाजों कि।

उजालों को अल्फाजों कि सोच एहसास दिलाती है आशाओं के जज्बातों कि लहर कोशिश सुनाती है किनारों को खयालों कि आस बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि सौगात राह दिलाती है सपनों के आवाजों कि धून मुस्कान सुनाती है कदमों को दास्तानों कि सुबह बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि पहचान परख दिलाती है लहरों के अंदाजों कि राह अरमान सुनाती है आवाजों को लम्हों कि परख बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि पुकार कोशिश दिलाती है किनारों के अदाओं कि समझ किनारा सुनाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि सरगम खयाल दिलाती है लहरों के अंदाजों कि आस परख सुनाती है राहों को अरमानों कि धाराएं मुस्कान बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि समझ राह दिलाती है कदमों के एहसासों कि तलाश इशारा सुनाती है अदाओं को नजारों कि तलाश बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि सौगात तराना दिलाती है लम्हों के दिशाओं कि उमंग अरमान सुनाती है नजारों को तरानों कि सोच बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि पहचान तलाश दिलाती है सपनों के दास्तानों कि सोच अफसाना सुनाती है राहों को एहसासों कि लहर बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि आस खयाल दिलाती है दिशाओं के तरानों कि रोशनी अरमान सुनाती है लहरों को आशाओं कि सौगात बदलाव दिलाती है।

उजालों को अल्फाजों कि राह सुबह दिलाती है लहरों के अंदाजों कि राह कोशिश सुनाती है कदमों को लहरों कि पुकार बदलाव दिलाती है।

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