Wednesday 6 April 2022

कविता. ४४०४. लम्हों को अरमानों कि संग।

                              लम्हों को अरमानों संग।

लम्हों को अरमानों संग सपनों कि समझ तलाश दिलाती है इशारों को तरानों कि रोशनी उमंग सुनाती है लम्हों को आशाओं कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग जज्बातों कि सुबह कोशिश दिलाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून एहसास सुनाती है तरानों को किनारों कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग आशाओं कि परख पहचान दिलाती है सपनों को लम्हों कि सौगात पहचान सुनाती है इशारों को अंदाजों कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग तरानों कि रोशनी खयाल दिलाती है लहरों को अफसानों कि सरगम बदलाव सुनाती है राहों को इरादों कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग आवाजों कि सरगम नजारा दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अदाएं सुनाती है जज्बातों को इशारों कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग दास्तानों कि पुकार सोच दिलाती है सपनों को नजारों कि सुबह सरगम सुनाती है इरादों को अंदाजों कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग राहों कि तलाश पहचान दिलाती है कदमों को आवाजों कि धून परख सुनाती है तरानों को दास्तानों कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग उजालों कि समझ बदलाव दिलाती है खयालों को अंदाजों कि तलाश इशारा सुनाती है उम्मीदों को आवाजों कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग आशाओं कि परख इशारा दिलाती है उजालों को अल्फाजों कि सोच इरादा सुनाती है बदलावों को दिशाओं कि मुस्कान दिलाती है।

लम्हों को अरमानों संग जज्बातों कि लहर दास्तान दिलाती है लहरों को अफसानों कि पुकार कोशिश सुनाती है राहों को एहसासों कि मुस्कान दिलाती है।


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