Monday 18 April 2022

कविता. ४४१६. रोशनी कि एक लकिर।

                              रोशनी कि एक लकिर।

रोशनी कि एक लकिर आशाओं कि सुबह दिलाती है कदमों को दास्तानों कि पहचान इशारे दिलाती है नजारों को एहसासों कि तलाश सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर आवाजों कि धून दिलाती है सपनों को जज्बातों कि पुकार अल्फाज दिलाती है इरादों को अंदाजों कि सरगम सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर अंदाजों कि मुस्कान दिलाती है किनारों को आशाओं कि मुस्कान अरमान दिलाती है खयालों को उम्मीदों कि सौगात सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर दिशाओं कि उमंग दिलाती है खयालों को अंदाजों कि अल्फाज अहमियत दिलाती है आवाजों को बदलावों कि सुबह सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर राहों कि एहसास दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अफसाना दिलाती है तरानों को उजालों कि परख सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर आशाओं कि दास्तान दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ सरगम दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर अल्फाजों कि सोच दिलाती है जज्बातों को तरानों कि परख पहचान दिलाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर बदलावों कि तलाश दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात आस दिलाती है दास्तानों को नजारों कि मुस्कान सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर दास्तानों कि कोशिश दिलाती है सपनों को नजारों कि राह अरमान दिलाती है दिशाओं को इरादों कि तलाश सुनाती है।

रोशनी कि एक लकिर अंदाजों कि लहर दिलाती है जज्बातों को एहसासों कि तलाश खयाल दिलाती है कदमों को आशाओं कि परख सुनाती है।

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