Saturday, 9 April 2022

कविता. ४४०७. दिशाओं को उजालों कि।

                            दिशाओं को उजालों कि।

दिशाओं को उजालों कि लहर कोशिश दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है खयालों को उम्मीदों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि मुस्कान रोशनी दिलाती है अदाओं को सपनों कि सरगम आवाज सुनाती है तरानों को अंदाजों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि परख पहचान दिलाती है जज्बातों को राहों कि तलाश खयाल सुनाती है इशारों को अरमानों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि आस खयाल दिलाती है तरानों को उम्मीदों कि सोच इरादा सुनाती है उम्मीदों को आवाजों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि सरगम दास्तान दिलाती है लहरों को अफसानों कि कोशिश सौगात सुनाती है तरानों को किनारों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि पुकार अल्फाज दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश पहचान सुनाती है उम्मीदों को आशाओं कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि आस बदलाव दिलाती है इरादों को अंदाजों कि मुस्कान खयाल सुनाती है नजारों को एहसासों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि अरमान सुबह दिलाती है इशारों को खयालों कि उमंग अल्फाज सुनाती है राहों को अंदाजों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि परख पहचान दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि उम्मीद आवाज सुनाती है उजालों को कदमों कि समझ सुनाती है।

दिशाओं को उजालों कि सौगात आवाज दिलाती है इरादों को किनारों कि पुकार अल्फाज सुनाती है लहरों को अफसानों कि समझ सुनाती है।

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