Saturday 2 April 2022

कविता. ४४००. आशाओं संग आस एहसास कि।

                     आशाओं संग आस एहसास कि।

आशाओं संग आस एहसास कि सरगम सुनाती है कदमों कि आहट इशारों को आवाज दिलाती है तरानों को अंदाजों कि राह मुस्कान दिलाती है लहरों को अफसानों कि रोशनी पुकार सुनाकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि सौगात सुनाती है किनारों कि सुबह अदाओं को पहचान दिलाती है खयालों को नजारों कि तलाश दिलाती है कोशिश को दास्तानों कि परख जज्बात सुनाकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि सुबह सुनाती है नजारों कि तलाश अरमानों को सौगात दिलाती है लहरों को अफसानों कि परख बदलाव दिलाती है उजालों को अल्फाजों कि सोच किनारा सुनाकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि कोशिश सुनाती है लम्हों कि रोशनी को सोच दिलाती है कदमों को दास्तानों कि सुबह कोशिश दिलाती है राहों को अरमानों कि धाराएं अल्फाज सुनाकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि पुकार सुनाती है लहरों कि अहमियत को सरगम दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि मुस्कान आवाज दिलाती है दिशाओं को उजालों कि पहचान बदलाव सुनकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि खयाल सुनाती है तरानों कि परख को किनारा दिलाती है अरमानों को लम्हों कि सौगात कोशिश दिलाती है अल्फाजों को कोशिश कि अहमियत आवाज सुनाकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि सोच सुनाती है दास्तानों कि राह को अफसाना दिलाती है अंदाजों को इरादों कि तलाश खयाल दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि परख सुनाकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि नजारा सुनाती है आवाजों कि धून को पहचान दिलाती है दास्तानों को उम्मीदों कि मुस्कान रोशनी दिलाती है तरानों को अंदाजों कि अल्फाज सुनकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि किनारा सुनाती है लहरों कि सरगम को सौगात दिलाती है सपनों को जज्बातों कि पुकार सोच दिलाती है इशारों को खयालों कि उमंग सुनाकर आगे जाती है।

आशाओं संग आस एहसास कि पहचान सुनाती है नजारों कि आवाज को पुकार दिलाती है किनारों को अंदाजों कि लहर सरगम दिलाती है कदमों को नजारों कि तलाश सुनाकर आगे जाती है।

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