Monday 25 April 2022

कविता. ४४२३. किसी दास्तान कि आहट।

                         किसी दास्तान कि आहट।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और कहानी देती है उजालों को कदमों कि बदलाव से एहसासों कि निशानी देती है तरानों कि सरगम अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और दिशाएं देती है उम्मीदों को किनारों कि पुकार से अरमानों कि परख देती है नजारों कि तलाश अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और आस देती है नजारों को एहसासों कि सुबह से अंदाजों कि मुस्कान देती है जज्बातों कि लहर अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और आवाज देती है दिशाओं को उजालों कि कोशिश से अदाओं कि समझ देती है उम्मीदों कि सौगात अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और अरमान देती है तरानों को कदमों कि आस से बदलावों कि उमंग देती है रोशनी कि पुकार अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और अल्फाज देती है एहसासों को दिशाओं कि उम्मीद से आवाजों कि धून देती है राहों कि कोशिश अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और अफसाना देती है लम्हों को खयालों कि उमंग से आशाओं कि मुस्कान देती है सपनों कि सुबह अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और नजारा देती है उम्मीदों को आवाजों कि धून से अंदाजों कि लहर देती है इशारों कि पहचान अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और सौगात देती है बदलावों को इरादों कि पुकार से अरमानों कि परख देती है अंदाजों कि लहर अनजानी देती है।

किसी दास्तान कि आहट कुछ और परख देती है किनारों को आशाओं कि कोशिश से अदाओं कि समझ देती है उजालों कि सोच अनजानी देती है।

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