Sunday 3 April 2022

कविता. ४४०१. दिशाओं को उजालों कि सुबह।

                                         दिशाओं को उजालों कि सुबह।

दिशाओं को उजालों कि सुबह एहसास सुनाती है कदमों कि आस अक्सर अल्फाजों कि सोच दिलाती है लम्हों को लहरों कि सरगम सौगात देती है तरानों से अंदाजों कि कोशिश जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह मुस्कान सुनाती है तरानों कि रोशनी अक्सर अंदाजों कि राह दिलाती है इशारों को अरमानों कि धाराएं अफसाना देती है उम्मीदों से आवाजों कि धून जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह कोशिश सुनाती है दास्तानों कि आस अक्सर सपनों कि पुकार दिलाती है किनारों को आशाओं कि परख अहमियत देती है राहों से अरमानों कि धाराएं जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह अरमान सुनाती है लम्हों कि सौगात अक्सर आशाओं कि खयाल दिलाती है बदलावों को कदमों कि आहट एहसास देती है इशारों से अदाओं कि समझ जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह आस सुनाती है राहों कि तलाश अक्सर अल्फाजों कि पहचान दिलाती है अंदाजों को नजारों कि पुकार अहमियत देती है खयालों से अरमानों कि लहर जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह आवाज सुनाती है जज्बातों कि सोच अक्सर कदमों कि आहट दिलाती है एहसासों को उमंग कि तलाश अफसाना देती है लहरों से इशारों कि पहचान जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह दास्तान सुनाती है रोशनी कि पुकार अक्सर अंदाजों कि मुस्कान दिलाती है आशाओं को अदाओं कि पहचान इशारा देती है जज्बातों से खयालों कि उम्मीद जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह सपना सुनाती है किनारों कि सोच अक्सर बदलावों कि उमंग दिलाती है सपनों को अरमानों कि समझ सरगम देती है तरानों से किनारों कि पुकार जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह कोशिश सुनाती है नजारों कि आस अक्सर अल्फाजों कि आस दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग सोच देती है आशाओं से सपनों कि पहचान जगाती है।

दिशाओं को उजालों कि सुबह मुस्कान सुनाती है राहों कि तलाश अक्सर अफसानों कि सौगात दिलाती है लहरों को आशाओं कि पुकार अरमान देती है नजारों से एहसासों कि सोच जगाती है।

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