Wednesday 13 April 2022

कविता. ४४११ . हर मुस्कान को आशाओं कि।

                      हर मुस्कान को आशाओं कि।

हर मुस्कान को आशाओं कि लहर एहसास दिलाती है लम्हों को अरमानों कि सुबह सरगम सुनाती है तरानों को अंदाजों कि रोशनी जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि सौगात तलाश दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात कोशिश सुनाती है उजालों को अल्फाजों कि आस जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि सरगम धून दिलाती है नजारों को एहसासों कि तलाश सहारा सुनाती है खयालों को उम्मीदों कि सुबह जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि परख पहचान दिलाती है आवाजों को कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है राहों को किनारों कि कोशिश जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि पुकार अरमान दिलाती है खयालों को उम्मीदों कि सोच इरादा सुनाती है अंदाजों को इरादों कि तलाश जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि रोशनी कोशिश दिलाती है इशारों को अरमानों कि धाराएं आस सुनाती है नजारों को एहसासों कि लहर जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि सोच इरादा दिलाती है जज्बातों को तरानों कि सरगम सपना सुनाती है बदलावों को उम्मीदों कि सोच जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि आवाज बदलाव दिलाती है इरादों को किनारों कि पुकार अल्फाज सुनाती है नजारों को अदाओं कि सौगात जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि परख पहचान दिलाती है दिशाओं को उजालों कि समझ सरगम सुनाती है अरमानों को लम्हों कि सुबह जज्बात देती है।

हर मुस्कान को आशाओं कि कोशिश रोशनी दिलाती है सपनों को नजारों कि तलाश खयाल सुनाती है आवाजों को बदलावों कि उमंग जज्बात देती है।

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