Thursday 1 December 2022

कविता. ४६४२. किनारों कि आहट अक्सर।

                                   किनारों कि आहट अक्सर।

किनारों कि आहट अक्सर अरमानों के इशारे देती है कदमों को अदाओं कि पहचान आस दिलाती है लहरों कि सरगम से दिशाओं कि समझ सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर अफसानों के तराने देती है तरानों को अरमानों कि पुकार कोशिश दिलाती है लम्हों कि रोशनी से कदमों कि आस सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर खयालों के लम्हे देती है दास्तानों को एहसासों कि रोशनी पहचान दिलाती है उजालों कि सुबह से नजारों कि सोच सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर अंदाजों के नजारे देती है आशाओं को बदलावों कि कोशिश सुबह दिलाती है इशारों कि राह से उम्मीदों कि सरगम सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर दास्तानों के इरादे देती है आवाजों को राहों कि मुस्कान तलाश दिलाती है अल्फाजों कि पुकार से खयालों कि सुबह सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर अदाओं के उम्मीदे देती है नजारों को दिशाओं कि आवाज सरगम दिलाती है लहरों कि सरगम से अंदाजों कि रोशनी सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर नजारों के अफसाने देती है दिशाओं को कदमों कि सोच बदलाव दिलाती है आशाओं कि आस से एहसासों कि समझ सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर राहों के लहरे देती है लम्हों को दास्तानों कि पहचान इशारा दिलाती है बदलावों कि कोशिश से आवाजों कि धून सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर अरमानों के राहे देती है जज्बातों को अदाओं कि सौगात कोशिश दिलाती है लम्हों कि आहट से आशाओं कि रोशनी सपना सुनाती है।

किनारों कि आहट अक्सर अल्फाजों के उजाले देती है आवाजों को खयालों कि समझ तलाश दिलाती है अदाओं कि सुबह से अफसानों कि कोशिश सपना सुनाती है।

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