Sunday 25 December 2022

कविता ४६६६. सपनों कि लहर से।

                                                  सपनों कि लहर से।

सपनों कि लहर से अफसानों कि सुबह आशाएं देती है कदमों को अदाओं कि परख रोशनी दिलाती है लम्हों कि मुस्कान सुनाती है।

सपनों कि लहर से अदाओं कि परख बदलाव देती है किनारों को अंदाजों कि कोशिश राह दिलाती है अल्फाजों कि आस सुनाती है।

सपनों कि लहर से किनारों कि सोच पहचान देती है उजालों को बदलावों कि सौगात खयाल दिलाती है आशाओं कि सरगम सुनाती है।

सपनों कि लहर से दास्तानों कि सौगात तलाश देती है दिशाओं को कदमों कि आहट सोच दिलाती है तरानों कि पहचान सुनाती है।

सपनों कि लहर से कदमों कि आहट अल्फाज देती है इरादों को आशाओं कि सौगात नजारा दिलाती है किनारों कि सुबह सुनाती है।

सपनों कि लहर से अफसानों कि समझ इरादा देती है दास्तानों को अल्फाजों कि सुबह एहसास दिलाती है जज्बातों कि सौगात सुनाती है।

सपनों कि लहर से जज्बातों कि राह बदलाव देती है कदमों को उजालों कि पुकार कोशिश दिलाती है खयालों कि अहमियत सुनाती है।

सपनों कि लहर से तरानों कि आस पहचान देती है अंदाजों को बदलावों कि समझ आवाज दिलाती है उजालों कि आहट सुनाती है।

सपनों कि लहर से इशारों कि पुकार खयाल देती है एहसासों को अदाओं कि परख रोशनी दिलाती है अंदाजों कि पुकार सुनाती है।

सपनों कि लहर से अल्फाजों कि तलाश किनारा देती है नजारों को दिशाओं कि कहानी पहचान दिलाती है तरानों कि सुबह सुनाती है।

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