Thursday 8 December 2022

कविता. ४६४९. दिशाओं को कदमों कि।

                                दिशाओं को कदमों कि।

दिशाओं को कदमों कि आहट एहसास दिलाती है लहरों से जज्बातों को अंदाजों कि आस कोशिश सुनाती है तरानों कि सुबह अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि आस सपना दिलाती है लम्हों से नजारों को अरमानों कि पुकार सौगात सुनाती है अफसानों कि समझ अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि राह आवाज दिलाती है किनारों से इशारों को लम्हों कि आहट अफसाना सुनाती है इरादों कि सौगात अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि पुकार खयाल दिलाती है नजारों से सपनों को आशाओं कि सरगम बदलाव सुनाती है कदमों कि आहट अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि सुबह दास्तान दिलाती है अदाओं से इरादों को दिशाओं कि समझ सपना सुनाती है किनारों कि सोच अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि अदा कोशिश दिलाती है उजालों से अंदाजों कि रोशनी अहमियत सुनाती है खयालों कि परख अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि परख सहारा दिलाती है जज्बातों से लम्हों कि पुकार कोशिश सुनाती है बदलावों कि सोच अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि लहर अंदाज दिलाती है किनारों से खयालों कि समझ तलाश सुनाती है लम्हों कि रोशनी अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि सोच अरमान दिलाती है लम्हों से आवाजों कि धून दास्तान सुनाती है किनारों कि मुस्कान अक्सर पहचान दिलाती है।

दिशाओं को कदमों कि राह अफसाना दिलाती है नजारों से सपनों कि आस अल्फाज सुनाती है जज्बातों कि सौगात अक्सर पहचान दिलाती है।

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