Wednesday 14 December 2022

कविता. ४६५५. राहों को अंदाजों कि।

                                   राहों को अंदाजों कि।

राहों को अंदाजों कि मुस्कान अफसाना दिलाती है दास्तानों को एहसासों कि रोशनी तलाश सुनाती है लम्हों के अल्फाजों कि आवाज सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि आस अरमान दिलाती है लहरों को इशारों कि सौगात पहचान सुनाती है लहरों के आशाओं कि सरगम सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि रोशनी पुकार दिलाती है बदलावों को लम्हों कि अहमियत परख सुनाती है नजारों के अरमानों कि कोशिश सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि सुबह दास्तान दिलाती है आवाजों को खयालों कि समझ सरगम सुनाती है जज्बातों के अदाओं कि परख सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि सौगात इरादा दिलाती है नजारों को दिशाओं कि आस पुकार सुनाती है बदलावों के उजालों कि आवाज सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि लहर पहचान दिलाती है इरादों को अदाओं कि परख एहसास सुनाती है खयालों के लहरों कि सरगम सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि कोशिश खयाल दिलाती है इशारों को कदमों कि आहट परख सुनाती है अरमानों के तरानों कि समझ सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि परख रोशनी दिलाती है दास्तानों को एहसासों कि आस मुस्कान सुनाती है नजारों के बदलावों कि सोच सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि पुकार किनारा दिलाती है लहरों को नजारों कि सौगात अफसाना सुनाती है कदमों के खयालों कि रोशनी सपना देती है।

राहों को अंदाजों कि आस सरगम दिलाती है बदलावों को दिशाओं कि समझ उमंग सुनाती है अफसानों के उम्मीदों कि लहर सपना देती है।


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