Wednesday 21 December 2022

कविता. ४६६२. इशारों कि समझ अक्सर।

                                   इशारों कि समझ अक्सर।

इशारों कि समझ अक्सर अरमानों कि तलाश दिलाती है लहरों कि आहट से उम्मीदों संग अफसाना देती है जज्बातों को कदमों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर नजारों कि सोच दिलाती है लम्हों कि सरगम से खयालों संग मुस्कान देती है किनारों को सपनों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर आशाओं कि सौगात दिलाती है दास्तानों कि परख से उजालों संग किनारा देती है एहसासों को अदाओं कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर जज्बातों कि सुबह दिलाती है तरानों कि पहचान से अंदाजों संग एहसास देती है आवाजों को नजारों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर एहसासों कि कोशिश दिलाती है दिशाओं कि आस से लम्हों संग पुकार देती है अल्फाजों को राहों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर बदलावों कि सुबह दिलाती है इरादों कि सौगात से उजालों संग किनारा देती है आशाओं को उम्मीदों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर तरानों कि बदलाव दिलाती है खयालों कि पहचान से लहरों संग उमंग देती है अरमानों को दास्तानों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर आशाओं कि सरगम दिलाती है लम्हों कि आहट से अरमानों संग तराना देती है अंदाजों को अफसानों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर अल्फाजों कि कोशिश दिलाती है लहरों कि सुबह से उजालों संग नजारा देती है लम्हों को दास्तानों कि पुकार सुनाती है।

इशारों कि समझ अक्सर आवाजों कि धून दिलाती है एहसासों कि सरगम से इरादों संग अहमियत देती है कदमों को बदलावों कि पुकार सुनाती है।

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