Friday, 30 December 2022

कविता. ४६७१. मुस्कान राहों कि।

                                            मुस्कान राहों कि।            

मुस्कान राहों कि तलाश संग अरमान जगाती है इशारों को दास्तानों कि समझ एहसास सुनाती है दिशाओं को कदमों कि आहट सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि कोशिश संग अल्फाज जगाती है लम्हों को खयालों कि सरगम किनारा सुनाती है नजारों को जज्बातों कि सोच सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि पहचान संग आस जगाती है तरानों को आवाजों कि धून पुकार सुनाती है इशारों को आशाओं कि परख सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि समझ संग खयाल जगाती है किनारों को सपनों कि लहर अफसाना सुनाती है अंदाजों को बदलावों कि सोच सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि लहर संग अल्फाज जगाती है अंदाजों को बदलावों कि सौगात कोशिश सुनाती है अरमानों को दिशाओं कि कहानी सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि सरगम संग तलाश जगाती है उजालों को आशाओं कि पुकार बदलाव सुनाती है उम्मीदों को दास्तानों कि आस सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि पुकार संग सौगात जगाती है आवाजों को अंदाजों कि रोशनी तराना सुनाती है लम्हों को खयालों कि समझ सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि रोशनी संग सरगम जगाती है खयालों को नजारों कि परख एहसास सुनाती है लहरों को जज्बातों कि आहट सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि पहचान संग रोशनी जगाती है तरानों को दिशाओं कि समझ सौगात सुनाती है अंदाजों को बदलावों कि सोच सुबह देती है।

मुस्कान राहों कि परख संग कोशिश जगाती है आशाओं को बदलावों कि रोशनी पुकार सुनाती है अदाओं को दास्तानों कि कोशिश सुबह देती है।

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कविता. ५४७२. ज्ञएहसास की कोई।

                           एहसास की कोई। एहसास की कोई पुकार तलाश दिलाती है कदमों को जज्बातों की आहट उजाला देकर जाती है अरमानों की आस सुनाती ...