Thursday 29 December 2022

कविता. ४६७०. लहरों को इशारों कि।

                                   लहरों को इशारों कि।

लहरों को इशारों कि सौगात सहारा देती है तरानों कि मुस्कान जुडकर इरादा देती है कदमों को उजालों कि राह अफसाना दिलाती है सपनों कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि समझ कोशिश देती है नजारों कि सोच जुडकर रोशनी देती है नजारों को दिशाओं कि कहानी बदलाव दिलाती है तरानों कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि परख सरगम देती है जज्बातों कि सुबह जुडकर दास्तान देती है किनारों को अल्फाजों कि सौगात तलाश दिलाती है लम्हों कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि पुकार अरमान देती है कदमों कि आहट जुडकर अल्फाज देती है आशाओं को बदलावों कि सोच उमंग दिलाती है राहों कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि सोच तराना देती है दास्तानों कि समझ जुडकर अंदाज देती है खयालों को नजारों कि सुबह अरमान दिलाती है उजालों कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि पहचान तलाश देती है किनारों कि मुस्कान जुडकर इरादा देती है जज्बातों को अंदाजों कि रोशनी राह दिलाती है अदाओं कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि आवाज सरगम देती है आशाओं कि कोशिश जुडकर इरादा देती है बदलावों को लम्हों कि आहट नजारा दिलाती है अंदाजों कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि तलाश उमंग देती है अरमानों कि पुकार जुडकर आवाज देती है तराना देती है किनारों को सपनों कि आहट खयाल दिलाती है कदमों कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि समझ कोशिश देती है आवाजों कि धून जुडकर दास्तान देती है अल्फाजों को उजालों कि सुबह एहसास दिलाती है दिशाओं कि आस सुनाती है।

लहरों को इशारों कि उमंग तराना देती है किनारों कि मुस्कान जुडकर तलाश देती है अरमानों को कदमों कि आहट अहमियत दिलाती है अफसानों कि आस सुनाती है।

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