Tuesday, 27 December 2022

कविता. ४६६८. उमंग को कदमों कि।

                                          उमंग को कदमों कि।

उमंग को कदमों कि आहट सपना दिलाती है आशाओं को बदलावों कि लहर तराना देती है किनारों पर एहसासों कि धाराएं इशारा देती है।

उमंग को कदमों कि आस सरगम दिलाती है किनारों को अल्फाजों कि मुस्कान इरादा देती है खयालों पर लम्हों कि पुकार कोशिश देती है।

उमंग को कदमों कि राह खयाल दिलाती है लम्हों को बदलावों कि सौगात तलाश देती है अफसानों पर अरमानों कि सुबह आवाज देती है।

उमंग को कदमों कि सौगात सहारा दिलाती है इशारों को लहरों कि रोशनी दास्तान देती है जज्बातों पर उम्मीदों कि लहर पहचान देती है।

उमंग को कदमों कि अदा मुस्कान दिलाती है खयालों को अंदाजों कि आस सौगात देती है अफसानों पर आशाओं कि परख किनारा देती है।

उमंग को कदमों कि पुकार लहर दिलाती है नजारों को दास्तानों कि परख कोशिश देती है बदलावों पर एहसासों कि समझ अल्फाज देती है।

उमंग को कदमों कि पहचान इशारा दिलाती है अदाओं को दिशाओं कि मुस्कान राह देती है नजारों पर उजालों कि सौगात कोशिश देती है।

उमंग को कदमों कि सरगम तलाश दिलाती है अंदाजों को बदलावों कि सोच सुबह देती है दास्तानों पर उम्मीदों कि लहर आस देती है।

उमंग को कदमों कि राह अल्फाज दिलाती है उजालों को सपनों कि परख रोशनी देती है अंदाजों पर एहसासों कि समझ बदलाव देती है।

उमंग को कदमों कि खयाल नजारा दिलाती है दिशाओं को तरानों कि समझ तलाश देती है किनारों पर आवाजों कि धून एहसास देती है।

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कविता. ५४७२. ज्ञएहसास की कोई।

                           एहसास की कोई। एहसास की कोई पुकार तलाश दिलाती है कदमों को जज्बातों की आहट उजाला देकर जाती है अरमानों की आस सुनाती ...