Saturday 10 December 2022

कविता. ४६५१. इशारों कि सौगात

                                  इशारों कि सौगात से।

इशारों कि सौगात से दास्तानों कि पहचान संग अरमान जगाती है कदमों कि आहट अक्सर नजारों कि पुकार दिलाती है लम्हों को तरानों कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से खयालों कि कोशिश संग सपना जगाती है अल्फाजों कि मुस्कान अक्सर उम्मीदों कि समझ दिलाती है नजारों को राहों कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से किनारों कि सोच संग अफसाना जगाती है आशाओं कि सरगम अक्सर बदलावों कि परख दिलाती है किनारों को अंदाजों कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से नजारों कि पुकार संग अहमियत जगाती है किनारों कि सोच अक्सर दास्तानों कि रोशनी दिलाती है आवाजों को अदाओं कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से दिशाओं कि समझ संग बदलाव जगाती है जज्बातों कि आहट अक्सर अरमानों कि पुकार दिलाती है लहरों को नजारों कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से आशाओं कि सरगम संग उमंग जगाती है लम्हों कि पुकार अक्सर अफसानों कि समझ दिलाती है खयालों को अंदाजों कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से उजालों कि पहचान संग कोशिश जगाती है बदलावों कि समझ अक्सर जज्बातों कि मुस्कान दिलाती है किनारों को अल्फाजों कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से अदाओं कि परख संग पुकार जगाती है लहरों कि सरगम अक्सर दास्तानों कि अहमियत दिलाती है लम्हों को खयालों कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से अंदाजों कि आस संग एहसास जगाती है कदमों कि आहट अक्सर सपनों कि कोशिश दिलाती है बदलावों को दिशाओं कि सुबह सुनाती है।

इशारों कि सौगात से दिशाओं कि पुकार संग खयाल जगाती है तरानों कि आवाज अक्सर किनारों कि रोशनी दिलाती है आशाओं को उजालों कि सुबह सुनाती है।

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