Monday 5 December 2022

कविता. ४६४६. कदमों कि आहट अक्सर।

                                कदमों कि आहट अक्सर।

कदमों कि आहट अक्सर अरमानों कि सरगम दिलाती है लहरों को इशारों कि सौगात अफसाना सुनाती है लम्हों को खयालों कि समझ सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर आशाओं कि सोच दिलाती है नजारों को दिशाओं कि समझ कोशिश सुनाती है जज्बातों को अंदाजों कि राह सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर अंदाजों कि आस दिलाती है जज्बातों को किनारों कि सोच अफसाना सुनाती है तरानों को अरमानों कि पुकार सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर दिशाओं कि समझ दिलाती है लम्हों को खयालों कि सुबह दास्तान सुनाती है अल्फाजों को तरानों कि पहचान सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर अदाओं कि परख दिलाती है आशाओं को बदलावों कि सोच सहारा सुनाती है लहरों को उजालों कि सोच सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर नजारों कि पहचान दिलाती है किनारों को अल्फाजों कि मुस्कान आवाज सुनाती है एहसासों को अदाओं कि समझ सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर दास्तानों कि आवाज दिलाती है नजारों को राहों कि सरगम सुबह सुनाती है दिशाओं को बदलावों कि कोशिश सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर खयालों कि समझ दिलाती है जज्बातों को किनारों कि समझ इशारा सुनाती है उम्मीदों को आवाजों कि समझ सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर जज्बातों कि सौगात दिलाती है अफसानों को अल्फाजों कि सोच तलाश सुनाती है आशाओं को बदलावों कि सरगम सपना देकर चलती है।

कदमों कि आहट अक्सर इरादों कि अल्फाज दिलाती है लहरों को दास्तानों कि परख बदलाव सुनाती है जज्बातों को इशारों कि पुकार सपना देकर चलती है।

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