Thursday, 22 December 2022

कविता. ४६६३. कोशिश किसी।

                                   कोशिश किसी।

कोशिश किसी एहसास को अक्सर जगाती है आवाज जीवन के अफसानों को समझ देकर सरगम सुनाती है अंदाजों कि रोशनी सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी तराने को अक्सर जगाती है आस जज्बात के किनारों को पुकार देकर उमंग सुनाती है नजारों कि पहचान सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी आहट को अक्सर जगाती है लहर अरमान के दिशाओं को परख देकर उम्मीद सुनाती है लम्हों कि सौगात सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी तलाश को अक्सर जगाती है कदम इशारों के अंदाजों को खयाल देकर अल्फाज सुनाती है मुस्कान कि दिशाएं सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी अंदाज को अक्सर जगाती है खयाल इरादों के उजालों को सौगात देकर पहचान सुनाती है लहरों कि सरगम सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी अदा को अक्सर जगाती है सोच अरमानों के किनारों को आस देकर इशारा सुनाती है आवाजों कि रोशनी सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी राह को अक्सर जगाती है जज्बात नजारों के इशारों को लहर देकर तलाश सुनाती है अफसानों कि परख सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी पुकार को अक्सर जगाती है दिशा अंदाजों के अल्फाजों को इरादा देकर सरगम सुनाती है तरानों कि पुकार सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी आवाज को अक्सर जगाती है सरगम खयालों के लहरों को मुस्कान देकर दास्तान सुनाती है किनारों कि सोच सुबह दे जाती है।

कोशिश किसी पुकार को अक्सर जगाती है आहट जज्बातों के दिशाओं को अल्फाज देकर राह सुनाती है इशारों कि समझ सुबह दे जाती है।

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कविता. ५४७२. ज्ञएहसास की कोई।

                           एहसास की कोई। एहसास की कोई पुकार तलाश दिलाती है कदमों को जज्बातों की आहट उजाला देकर जाती है अरमानों की आस सुनाती ...