Sunday 4 December 2022

कविता. ४६४५. बदलावों से तरानों कि।

                                    बदलावों से तरानों कि।

बदलावों से तरानों कि सुबह अक्सर अफसाना दिलाती है जज्बातों को कदमों कि आहट पहचान सुनाती है उजालों से उम्मीदों कि लहर देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि परख अक्सर सरगम दिलाती है नजारों को दिशाओं कि अहमियत अल्फाज सुनाती है जज्बातों से लम्हों कि रोशनी देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि सोच अक्सर उमंग दिलाती है इशारों को आशाओं कि सरगम पुकार सुनाती है अदाओं से दास्तानों कि सौगात देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि आस अक्सर कोशिश दिलाती है अंदाजों को जज्बातों कि मुस्कान आवाज सुनाती है दिशाओं से इरादों कि कोशिश देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि समझ अक्सर आवाज दिलाती है उम्मीदों को कदमों कि आहट खयाल सुनाती है नजारों से सपनों कि पहचान देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि कोशिश अक्सर आहट दिलाती है लहरों को अफसानों कि आस सरगम सुनाती है लम्हों से अंदाजों कि अरमान देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि सरगम अक्सर नजारा दिलाती है एहसासों को अदाओं कि परख आहट सुनाती है दिशाओं से इरादों कि पुकार देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि आवाज अक्सर किनारा दिलाती है लम्हों को अल्फाजों कि मुस्कान दास्तान सुनाती है लहरों से जज्बातों कि सुबह देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि सौगात अक्सर कोशिश दिलाती है उजालों को सपनों कि राह इरादा सुनाती है आशाओं से अंदाजों कि समझ देकर जाती है।

बदलावों से तरानों कि परख अक्सर लम्हा दिलाती है लहरों को इशारों कि अहमियत खयाल सुनाती है नजारों से दास्तानों कि आस एहसास देकर जाती है।

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