Tuesday 6 December 2022

कविता. ४६४७. उजालों कि लहर।

                                 उजालों कि लहर।

उजालों कि लहर आशाओं संग उम्मीद दिलाती है लम्हों को खयालों कि सुबह पुकार सुनाकर जाती है एहसासों कि आहट जज्बात देकर जाती है।

उजालों कि लहर आवाजों संग तलाश दिलाती है नजारों को दिशाओं कि समझ सपना सुनाकर जाती है किनारों कि सोच मुस्कान देकर जाती है।

उजालों कि लहर अंदाजों संग तराना दिलाती है कोशिश को अदाओं कि परख पहचान सुनाकर जाती है इशारों कि मुस्कान इरादा देकर जाती है।

उजालों कि लहर दास्तानों संग किनारा दिलाती है इशारों को दास्तानों कि सरगम एहसास सुनाकर जाती है आशाओं कि सोच अल्फाज देकर जाती है।

उजालों कि लहर कदमों संग मुस्कान दिलाती है लम्हों को तरानों कि कोशिश अरमान सुनाकर जाती है अंदाजों कि आस बदलाव देकर जाती है।

उजालों कि लहर इरादों संग तलाश दिलाती है आस को आवाजों कि धून पुकार सुनाकर जाती है अरमानों कि सौगात खयाल देकर जाती है।

उजालों कि लहर नजारों संग अफसाना दिलाती है राहों को अंदाजों कि परख दास्तान सुनाकर जाती है दिशाओं कि कहानी आस देकर जाती है।

उजालों कि लहर जज्बातों संग अदा दिलाती है अल्फाजों को इरादों कि कोशिश अफसाना सुनाकर जाती है उम्मीदों कि समझ खयाल देकर जाती है।

उजालों कि लहर दिशाओं संग अल्फाज दिलाती है आशाओं को अंदाजों कि आस मुस्कान सुनाकर जाती है नजारों कि सरगम कोशिश देकर जाती है।

उजालों कि लहर अंदाजों संग परख दिलाती है लम्हों को खयालों कि पहचान किनारा सुनाकर जाती है आशाओं कि सोच अरमान देकर जाती है।


No comments:

Post a Comment

कविता. ५१६५. उम्मीदों को किनारों की।

                               उम्मीदों को किनारों की। उम्मीदों को किनारों की सौगात इरादा देती है आवाजों को अदाओं की पुकार पहचान दिलाती है द...