Friday 23 December 2022

कविता. ४६६४. आशाओं संग बदलावों कि।

                          आशाओं संग बदलावों कि।

आशाओं संग बदलावों कि सौगात अरमान जगाती है जज्बातों कि मुस्कान से दिशाओं कि पहचान कोशिश सुनाती है अंदाजों से राहों कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि सरगम सुबह जगाती है कदमों कि आहट से अरमानों कि सोच अफसाना सुनाती है दास्तानों से नजारों कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि कोशिश आस जगाती है किनारों कि आस से खयालों कि समझ सपना सुनाती है लहरों से दिशाओं कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि सोच परख जगाती है लम्हों कि रोशनी से अरमानों कि आस खयाल सुनाती है तरानों से उम्मीदों कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि तलाश इशारा जगाती है अदाओं कि परख से उजालों कि तलाश एहसास सुनाती है इरादों से अंदाजों कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि समझ सपना जगाती है उम्मीदों कि लहर से अफसानों कि सोच पहचान सुनाती है तरानों से दिशाओं कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि राह आस जगाती है लम्हों कि पहचान से अंदाजों कि परख कोशिश सुनाती है आवाजों से लहरों कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि लहर मुस्कान जगाती है कदमों कि आहट से अरमानों कि सौगात तराना सुनाती है इशारों से किनारों कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि उमंग अल्फाज जगाती है किनारों कि सोच से दिशाओं कि समझ पहचान सुनाती है एहसासों से इरादों कि पुकार देती है।

आशाओं संग बदलावों कि सोच अफसाना जगाती है खयालों कि समझ से आवाजों कि धून पहचान सुनाती है नजारों से सपनों कि पुकार देती है।

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