Friday 2 December 2022

कविता. ४६४३. अल्फाजों कि आवाज संग।

                                     अल्फाजों कि आवाज संग।

अल्फाजों कि आवाज संग एहसास दिलाती है अंदाजों कि तलाश से कदमों कि आहट अरमान सुनाती है तरानों पर बदलावों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग कोशिश दिलाती है जज्बातों कि मुस्कान से दिशाओं कि समझ अफसाना सुनाती है नजारों पर उजालों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग दास्तान दिलाती है लहरों कि सरगम से खयालों कि सौगात अदा सुनाती है लम्हों पर एहसासों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग परख दिलाती है कदमों कि कोशिश से जज्बातों कि सुबह आस सुनाती है इशारों पर खयालों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग पुकार दिलाती है किनारों कि सौगात से दास्तानों कि परख कोशिश सुनाती है इरादों पर आशाओं कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग राह दिलाती है लम्हों कि रोशनी से अरमानों कि सरगम बदलाव सुनाती है अंदाजों पर उजालों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग मुस्कान दिलाती है खयालों कि समझ से आशाओं कि पहचान तलाश सुनाती है अदाओं पर नजारों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग अरमान दिलाती है दास्तानों कि परख से अंदाजों कि उमंग सरगम सुनाती है दिशाओं पर एहसासों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग आस दिलाती है इशारों कि कोशिश से आशाओं कि पुकार सपना सुनाती है नजारों पर बदलावों कि सोच देकर जाती है।

अल्फाजों कि आवाज संग रोशनी दिलाती है कदमों कि आहट से अरमानों कि सुबह दास्तान सुनाती है खयालों पर लम्हों कि सोच देकर जाती है।

 

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