Saturday 17 December 2022

कविता. ४६५८. उम्मीदों को कदमों कि।

                                      उम्मीदों को कदमों कि।

उम्मीदों को कदमों कि आस अफसाना दिलाती है लहरों कि सरगम से खयालों कि मुस्कान कोशिश देकर जाती है राहों को अंदाजों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि रोशनी अरमान दिलाती है नजारों कि सोच से एहसासों कि सुबह दास्तान देकर जाती है दिशाओं को बदलावों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि आवाज खयाल दिलाती है बदलावों कि आहट से अरमानों कि दिशा सहारा देकर जाती है उजालों को सपनों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि सौगात अंदाज दिलाती है खयालों कि समझ से अफसानों कि रोशनी परख देकर जाती है कदमों को अदाओं कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि राह कोशिश दिलाती है लम्हों कि आस से अंदाजों कि आस बदलाव देकर जाती है किनारों को अल्फाजों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि परख किनारा दिलाती है इशारों कि सौगात से दास्तानों कि सोच पहचान देकर जाती है जज्बातों को तरानों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि लहर नजारा दिलाती है आशाओं कि कोशिश से अरमानों कि सुबह किनारा देकर जाती है खयालों को इशारों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि अदा मुस्कान दिलाती है अदाओं कि परख से उजालों कि पहचान तलाश देकर जाती है किनारों को सपनों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि उमंग पहचान दिलाती है आवाजों कि धून से दास्तानों कि मुस्कान अरमान देकर जाती है आशाओं को नजारों कि पुकार दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि लहर अहमियत दिलाती है लम्हों कि आहट से अरमानों कि सोच अंदाज देकर जाती है तरानों को जज्बातों कि पुकार दिलाती है। 

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१६५. उम्मीदों को किनारों की।

                               उम्मीदों को किनारों की। उम्मीदों को किनारों की सौगात इरादा देती है आवाजों को अदाओं की पुकार पहचान दिलाती है द...