Monday 19 December 2022

कविता. ४६६०. उम्मीद को आवाजों कि।

                                       उम्मीद को आवाजों कि।

उम्मीद को आवाजों कि परख कोशिश सुनाती है सपनों कि आस अक्सर दास्तानों कि पहचान देकर जाती है जज्बातों को आशाओं कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि धून अरमान सुनाती है तरानों कि पहचान अक्सर नजारों कि सोच देकर जाती है उजालों को बदलावों कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि मुस्कान तलाश सुनाती है इशारों कि सौगात अक्सर इरादों कि आहट देकर जाती है कदमों को अदाओं कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि सुबह तराना सुनाती है अंदाजों कि परख अक्सर आशाओं कि सौगात देकर जाती है नजारों को खयालों कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि राह अफसाना सुनाती है लम्हों कि पुकार अक्सर लहरों कि सुबह देकर जाती है अरमानों को दिशाओं कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि आस किनारा सुनाती है नजारों कि आहट अक्सर इशारों कि रोशनी देकर जाती है जज्बातों को किनारों कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि सोच आवाज सुनाती है किनारों कि उमंग अक्सर आशाओं कि सौगात देकर जाती है कदमों को अंदाजों कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि रोशनी अल्फाज सुनाती है लम्हों कि पुकार अक्सर अंदाजों कि परख देकर जाती है दास्तानों को एहसासों कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि कोशिश पुकार सुनाती है इरादों कि सौगात अक्सर उजालों कि राह देकर जाती है खयालों को कदमों कि सरगम दिलाती है।

उम्मीद को आवाजों कि रोशनी किनारा सुनाती है जज्बातों कि मुस्कान अक्सर आशाओं कि सोच देकर जाती है इरादों को अरमानों कि सरगम दिलाती है।

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