Wednesday 30 November 2022

कविता. ४६४१. इशारों कि सरगम से।

                               इशारों कि सरगम से।

इशारों कि सरगम से तलाश दिलाती है लम्हों को दास्तानों कि कोशिश अहमियत देकर जाती है जज्बातों को कदमों कि आहट एहसास दिलाती है।

इशारों कि सरगम से किनारा दिलाती है नजारों को दिशाओं कि समझ अफसाना देकर जाती है तरानों को अरमानों कि पुकार एहसास दिलाती है।

इशारों कि सरगम से सहारा दिलाती है उजालों को सपनों कि लहर बदलाव देकर जाती है अल्फाजों को राहों कि अहमियत एहसास दिलाती है।

इशारों कि सरगम से दास्तान दिलाती है अंदाजों को किनारों कि सोच पहचान देकर जाती है लहरों को इशारों कि बदलाव एहसास दिलाती है।

इशारों कि सरगम से परख दिलाती है कदमों को अरमानों कि पुकार सौगात देकर जाती है दिशाओं को लहरों कि कोशिश एहसास दिलाती है।

इशारों कि सरगम से आवाज दिलाती है जज्बातों को अदाओं कि सुबह खयाल देकर जाती है आशाओं को अल्फाजों कि सोच एहसास दिलाती है।

इशारों कि सरगम से आस दिलाती है लहरों को अफसानों कि समझ बदलाव देकर जाती है किनारों को सपनों कि पहचान एहसास दिलाती है।

इशारों कि सरगम से सपना दिलाती है किनारों को खयालों कि सोच अरमान देकर जाती है आवाजों को अंदाजों कि परख एहसास दिलाती है।

इशारों कि सरगम से उमंग दिलाती है आवाजों को राहों कि सुबह दास्तान देकर जाती है दास्तानों को अदाओं कि सहारा एहसास दिलाती है।

इशारों कि सरगम से कोशिश दिलाती है सपनों को अरमानों कि पुकार कोशिश देकर जाती है तरानों को उजालों कि आस एहसास दिलाती है।

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