Monday 7 November 2022

कविता. ४६१८. आवाजों कि सरगम।

                                              आवाजों कि सरगम।

आवाजों कि सरगम आस जगाती है अरमानों को दिशाओं कि सुबह एहसास दिलाती है लहरों कि आहट किनारों संग पहचान बनाकर उमंग देकर जाती है।

आवाजों कि सरगम कोशिश जगाती है अंदाजों को राहों कि मुस्कान खयाल दिलाती है कदमों कि पुकार जज्बातों संग आस बनाकर उमंग देकर जाती है।

आवाजों कि सरगम सपना जगाती है एहसासों को उजालों कि राह बदलाव दिलाती है इशारों कि पहचान तरानों संग अल्फाज बनाकर उमंग देकर जाती है।

आवाजों कि सरगम नजारा जगाती है लम्हों को अंदाजों कि आस कोशिश दिलाती है अल्फाजों कि कोशिश नजारों संग राह बनाकर उमंग देकर जाती है।

आवाजों कि सरगम कोशिश जगाती है आशाओं को बदलावों कि सोच पहचान दिलाती है तरानों कि सुबह खयालों संग इशारा बनाकर उमंग देकर जाती है।

आवाजों कि सरगम परख जगाती है राहों को कदमों कि पुकार बदलाव दिलाती है दास्तानों कि सौगात एहसासों संग अफसाना बनाकर उमंग देकर जाती है।

आवाजों कि सरगम अंदाज जगाती है किनारों को सपनों कि आस तलाश दिलाती है लम्हों कि पुकार बदलावों संग नजारा बनाकर उमंग देकर जाती है।

आवाजों कि सरगम जज्बात जगाती है दिशाओं को लहरों कि सोच पहचान दिलाती है नजारों कि आहट कदमों संग मुस्कान बनाकर उमंग देकर जाती है।

आवाजों कि सरगम तराना जगाती है अरमानों को इरादों कि सौगात कोशिश दिलाती है अदाओं कि परख उम्मीदों संग आस बनाकर उमंग देकर जाती है।

आवाजों कि सरगम एहसास जगाती है दास्तानों को लम्हों कि पुकार अहमियत दिलाती है जज्बातों कि मुस्कान इरादों संग खयाल बनाकर उमंग देकर जाती है।

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