Friday 11 November 2022

कविता. ४६२२. राह को लहरों कि।

                                                 राह को लहरों कि।

राह को लहरों कि सरगम पुकार दिलाती है दास्तानों कि परख अक्सर जज्बातों कि मुस्कान देती है तरानों को अरमानों कि पुकार कोशिश सुनाती है।

राह को लहरों कि सुबह एहसास दिलाती है नजारों कि सोच अक्सर उम्मीदों कि पहचान देती है खयालों को अंदाजों कि आस कोशिश सुनाती है।

राह को लहरों कि सौगात आस दिलाती है लम्हों कि पुकार अक्सर तरानों कि समझ देती है कदमों को अफसानों कि सोच कोशिश सुनाती है।

राह को लहरों कि परख रोशनी दिलाती है खयालों कि समझ अक्सर इशारों कि सोच देती है किनारों को सपनों कि लहर कोशिश सुनाती है।

राह को लहरों कि सरगम अंदाज दिलाती है जज्बातों कि सुबह अक्सर आवाजों कि धून देती है आवाजों को अदाओं कि परख कोशिश सुनाती है।

राह को लहरों कि उमंग पहचान दिलाती है दिशाओं कि समझ अक्सर कदमों कि आहट देती है जज्बातों को एहसासों कि मुस्कान कोशिश सुनाती है।

राह को लहरों कि सोच किनारा दिलाती है उम्मीदों कि आहट अक्सर अरमानों कि पुकार देती है उजालों को सपनों कि अफसाना कोशिश सुनाती है।

राह को लहरों कि तलाश सुबह दिलाती है अंदाजों कि आस अक्सर बदलावों कि सौगात देती है कदमों को अदाओं कि परख कोशिश सुनाती है।

राह को लहरों कि समझ सपना दिलाती है खयालों कि परख अक्सर इशारों कि पहचान देती है आशाओं को बदलावों कि अदा कोशिश सुनाती है।

राह को लहरों कि उम्मीद मुस्कान दिलाती है सपनों कि सौगात अक्सर दास्तानों कि आस देती है खयालों को एहसासों कि रोशनी कोशिश सुनाती है।


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