Saturday 12 November 2022

कविता. ४६२३. अदाओं को कदमों कि।

                                      अदाओं को कदमों कि।

अदाओं को कदमों कि आहट अफसाना दिलाती है किनारों को अदाओं से दास्तानों कि तलाश सुनाती है अल्फाजों कि मुस्कान कोशिश देकर जाती है।

अदाओं को कदमों कि आस सरगम दिलाती है लम्हों को खयालों से उम्मीदों कि समझ सुनाती है तरानों कि सुबह कोशिश देकर जाती है।

अदाओं को कदमों कि राह अरमान दिलाती है लहरों को इशारों से अंदाजों कि आस सुनाती है नजारों कि सोच कोशिश देकर जाती है।

अदाओं को कदमों कि सुबह दास्तान दिलाती है राहों को किनारों से आशाओं कि पुकार सुनाती है जज्बातों कि मुस्कान कोशिश देकर जाती है।

अदाओं को कदमों कि परख खयाल दिलाती है नजारों को बदलावों से उजालों कि आस सुनाती है अंदाजों कि पहचान कोशिश देकर जाती है।

अदाओं को कदमों कि समझ आस दिलाती है दास्तानों को सपनों से एहसासों कि लहर सुनाती है लम्हों कि पुकार कोशिश देकर जाती है।

अदाओं को कदमों कि सोच पहचान दिलाती है इशारों को आशाओं से जज्बातों कि मुस्कान सुनाती है इरादों कि सौगात कोशिश देकर जाती है।

अदाओं को कदमों कि पुकार बदलाव दिलाती है राहों को अंदाजों से आशाओं कि सरगम सुनाती है खयालों कि आस कोशिश देकर जाती है।

अदाओं को कदमों कि राह अरमान दिलाती है बदलावों को लम्हों से आवाजों कि धून सुनाती है अफसानों कि समझ कोशिश देकर जाती है।

अदाओं को कदमों कि रोशनी उमंग दिलाती है जज्बातों को किनारों से तरानों कि सुबह सुनाती है अरमानों कि आस कोशिश देकर जाती है।


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