Thursday 3 November 2022

कविता. ४६१४. आसमानों को नये।

                                     आसमानों को नये।

आसमानों को नये खयालों कि उम्मीद भरने दो आशाओं को बदलावों कि तलाश सुनकर चलने दो फिर अदाएं राहों कि समझ संग आस सुनाती है।

आसमानों को नये आवाजों कि धून सुनने दो अदाओं को तरानों कि पहचान सुनकर चलने दो फिर दिशाएं नजारों कि कोशिश संग राह सुनाती है।

आसमानों को नये आशाओं कि सरगम सुनने दो खयालों को इशारों कि सौगात सुनकर चलने दो फिर राहे दिशाओं कि पुकार संग खयाल सुनाती है।

आसमानों को नये अंदाजों कि सौगात सुनने दो लहरों को नजारों कि समझ सुनकर चलने दो फिर मुस्कान कदमों कि आहट संग अरमान सुनाती है।

आसमानों को नये दास्तानों कि परख सुनने दो लम्हों को अफसानों कि सुबह सुनकर चलने दो फिर कोशिश इशारों कि सोच संग अल्फाज सुनाती है।

आसमानों को नये दिशाओं कि समझ सुनने दो उजालों को सपनों कि लहर सुनकर चलने दो फिर उजाला खयालों कि सुबह संग कोशिश सुनाती है।

आसमानों को नये बदलावों कि सोच सुनने दो नजारों को दिशाओं कि पहचान सुनकर चलने दो फिर रोशनी सपनों कि सौगात संग अदा सुनाती है।

आसमानों को नये लम्हों कि रोशनी सुनने दो अंदाजों को खयालों कि सोच सुनकर चलने दो फिर आस इशारों कि तलाश संग पुकार सुनाती है।

आसमानों को नये अंदाजों कि राह सुनने दो जज्बातों को बदलावों कि समझ सुनकर चलने दो फिर आवाज उजालों कि सुबह संग पहचान सुनाती है।

आसमानों को नये लम्हों कि पुकार सुनने दो दिशाओं को कदमों कि आहट सुनकर चलने दो फिर आहट नजारों कि सोच संग बदलाव सुनाती है।


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