Sunday 27 November 2022

कविता. ४६३८. दिशाओं संग रोशनी अक्सर।

                                 दिशाओं संग रोशनी अक्सर।

दिशाओं संग रोशनी अक्सर एहसासों के इशारे दिलाती है लम्हों को अंदाजों कि आहट तराने सुनाती है किनारों से आशाओं कि सरगम अरमान जगाती है।

दिशाओं संग रोशनी अक्सर दास्तानों के सहारे दिलाती है नजारों को खयालों कि समझ सपना सुनाती है कदमों से आवाजों कि धून अरमान जगाती है।

दिशाओं संग रोशनी अक्सर तरानों के किनारे दिलाती है जज्बातों को लहरों कि कोशिश सुबह सुनाती है इरादों से उजालों कि राह अरमान जगाती है।

दिशाओं संग रोशनी अक्सर अल्फाजों के उजाले दिलाती है कदमों को इरादों कि सौगात पहचान सुनाती है नजारों से बदलावों कि कोशिश अरमान जगाती है।

दिशाओं संग रोशनी अक्सर कदमों के अफसाने दिलाती है लहरों को इशारों कि परख सुबह सुनाती है एहसासों से अंदाजों कि आस अरमान जगाती है।

दिशाओं संग रोशनी अक्सर नजारों के दास्ताने दिलाती है बदलावों को अदाओं कि सौगात तलाश सुनाती है खयालों से उम्मीदों कि लहर अरमान जगाती है।

दिशाओं संग रोशनी अक्सर अल्फाजों के किनारे दिलाती है खयालों को नजारों कि पहचान पुकार सुनाती है जज्बातों से बदलावों कि सोच अरमान जगाती है।

दिशाओं संग रोशनी अक्सर लम्हों के अफसाने दिलाती है आवाजों को अदाओं कि परख कोशिश सुनाती है इरादों से उजालों कि राह अरमान जगाती है।

दिशाओं संग रोशनी अक्सर जज्बातों के उम्मीदे दिलाती है लहरों को दास्तानों कि पहचान आवाज सुनाती है एहसासों से आशाओं कि सौगात अरमान जगाती है।

दिशाओं संग रोशनी अक्सर अंदाजों के तराने दिलाती है कदमों को अफसानों कि समझ किनारा सुनाती है अल्फाजों से जज्बातों कि मुस्कान अरमान जगाती है।

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