Sunday, 20 November 2022

कविता. ४६३१. राहों पर एक आस।

                                       राहों पर एक आस।

राहों पर एक आस इशारा देती है लम्हों को सपनों का सहारा देती है दास्तानों कि पुकार कोशिश दिलाती है नजारों को दिशाओं संग अरमान जगाती है।

राहों पर एक आस अफसाना देती है कदमों को अदाओं का सुबह देती है नजारों कि सोच आवाज दिलाती है जज्बातों को किनारों संग खयाल जगाती है।

राहों पर एक आस किनारा देती है आवाजों को बदलावों का तराना देती है उजालों कि सुबह दास्तान दिलाती है इशारों को लम्हों संग अल्फाज जगाती है।

राहों पर एक आस कोशिश देती है आशाओं को जज्बातों का खयाल देती है तरानों कि समझ तलाश दिलाती है एहसासों को अदाओं संग समझ जगाती है।

राहों पर एक आस सोच देती है अंदाजों को इरादों का तराना देती है उम्मीदों कि लहर सरगम दिलाती है कदमों को उजालों संग सुबह जगाती है।

राहों पर एक आस पुकार देती है किनारों को सपनों का अफसाना देती है अंदाजों कि रोशनी परख दिलाती है आवाजों को उम्मीदों संग सौगात जगाती है।

राहों पर एक आस उमंग देती है लहरों को अल्फाजों का जज्बात देती है अदाओं कि पहचान उमंग दिलाती है नजारों को खयालों संग मुस्कान जगाती है।

राहों पर एक आस दास्तान देती है सपनों को एहसासों का आवाज देती है किनारों कि सोच बदलाव दिलाती है अंदाजों को आशाओं संग लहर जगाती है।

राहों पर एक आस बदलाव देती है दिशाओं को अरमानों का इशारा देती है दास्तानों कि तलाश सोच दिलाती है इशारों को लम्हों संग पहचान जगाती है।

राहों पर एक आस किनारा देती है उजालों को सपनों का एहसास देती है कदमों कि आहट अरमान दिलाती है अदाओं को अंदाजों संग परख जगाती है।


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