Friday, 25 November 2022

कविता. ४६३६. उम्मीदों को कदमों कि आहट।

                             उम्मीदों को कदमों कि आहट।

उम्मीदों को कदमों कि आहट अल्फाज देती है किनारों को अंदाजों कि आहट कोशिश सुनाती है लहरों कि सरगम से एहसासों कि रोशनी दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि आहट सौगात देती है नजारों को दिशाओं कि समझ सपना सुनाती है आवाजों कि धून से अरमानों कि रोशनी दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि आहट खयाल देती है आशाओं को बदलावों कि सोच तलाश सुनाती है सपनों कि लहर से अफसानों कि रोशनी दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि आहट एहसास देती है जज्बातों को अदाओं कि मुस्कान तराना सुनाती है लम्हों कि पहचान से दिशाओं कि रोशनी दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि आहट सहारा देती है खयालों को इशारों कि सौगात अरमान सुनाती है उजालों कि अहमियत से खयालों कि रोशनी दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि आहट सोच देती है इरादों को आशाओं कि सुबह कोशिश सुनाती है तरानों कि कोशिश से अंदाजों कि रोशनी दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि आहट तलाश देती है सपनों को राहों कि सरगम आस सुनाती है एहसासों कि सुबह से अफसानों कि रोशनी दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि आहट पुकार देती है अल्फाजों को किनारों कि सोच अरमान सुनाती है लहरों कि परख से अदाओं कि रोशनी दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि आहट आवाज देती है लहरों को इशारों कि सौगात कोशिश सुनाती है बदलावों कि पहचान से दास्तानों कि रोशनी दिलाती है।

उम्मीदों को कदमों कि आहट सुबह देती है तरानों को उजालों कि राह अफसाना सुनाती है लम्हों कि अहमियत से आशाओं कि रोशनी दिलाती है।

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कविता. ५४७२. ज्ञएहसास की कोई।

                           एहसास की कोई। एहसास की कोई पुकार तलाश दिलाती है कदमों को जज्बातों की आहट उजाला देकर जाती है अरमानों की आस सुनाती ...