Wednesday, 23 November 2022

कविता. ४६३४. रोशनी कि मुस्कान से।

                                  रोशनी कि मुस्कान से।

रोशनी कि मुस्कान से दिशाओं कि कहानी आवाज सुनाती है तरानों को अरमानों कि कोशिश सहारा दिलाती है लहरों कि पहचान आस देती है।

रोशनी कि मुस्कान से आशाओं कि सरगम कोशिश सुनाती है जज्बातों को कदमों कि आहट खयाल दिलाती है लम्हों कि सुबह आस देती है।

रोशनी कि मुस्कान से दास्तानों कि परख अरमान सुनाती है नजारों को राहों कि सौगात उमंग दिलाती है इशारों कि समझ आस देती है।

रोशनी कि मुस्कान से तरानों कि सौगात नजारा सुनाती है उजालों को सपनों कि लहर पुकार दिलाती है जज्बातों कि सोच आस देती है।

रोशनी कि मुस्कान से आवाजों कि धून तलाश सुनाती है अंदाजों को जज्बातों कि सोच एहसास दिलाती है कदमों कि आहट आस देती है।

रोशनी कि मुस्कान से उजालों कि पुकार अफसाना सुनाती है किनारों को अल्फाजों कि परख कोशिश दिलाती है लम्हों कि पहचान आस देती है।

रोशनी कि मुस्कान से कदमों कि राह अहमियत सुनाती है दास्तानों को एहसासों कि आवाज सपना दिलाती है लहरों कि सुबह आस देती है।

रोशनी कि मुस्कान से जज्बातों कि समझ सपना सुनाती है अंदाजों को बदलावों कि सोच पुकार दिलाती है खयालों कि सौगात आस देती है।

रोशनी कि मुस्कान से दिशाओं कि सोच तलाश सुनाती है लम्हों को खयालों कि उमंग पहचान दिलाती है तरानों कि सरगम आस देती है।

रोशनी कि मुस्कान से अदाओं कि परख बदलाव सुनाती है नजारों को राहों कि परख किनारा दिलाती है उम्मीदों कि सौगात आस देती है।

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