Thursday 10 November 2022

कविता. ४६२१. किनारों को सपनों कि।

                                          किनारों को सपनों कि।

किनारों को सपनों कि लहर अरमान दिलाती है जज्बातों कि सोच अक्सर अल्फाज सुनाती है कदमों कि आहट से राहों कि मुस्कान दास्तान देती है।

किनारों को सपनों कि सुबह कोशिश दिलाती है लम्हों कि पुकार अक्सर पहचान सुनाती है इशारों कि सौगात से दिशाओं कि समझ दास्तान देती है।

किनारों को सपनों कि आस एहसास दिलाती है नजारों कि रोशनी अक्सर परख सुनाती है तरानों कि पहचान से बदलावों कि सौगात दास्तान देती है।

किनारों को सपनों कि आवाज सरगम दिलाती है उजालों कि सुबह अक्सर बदलाव सुनाती है खयालों कि समझ से अंदाजों कि सोच दास्तान देती है।

किनारों को सपनों कि राह मुस्कान दिलाती है आशाओं कि सरगम अक्सर आस सुनाती है उम्मीदों कि लहर से अदाओं कि परख दास्तान देती है।

किनारों को सपनों कि रोशनी पुकार दिलाती है उम्मीदों कि समझ अक्सर बदलाव सुनाती है इरादों कि रोशनी से तरानों कि सरगम दास्तान देती है।

किनारों को सपनों कि उमंग पहचान दिलाती है खयालों कि सोच अक्सर अरमान सुनाती है आवाजों कि धून से कदमों कि आहट दास्तान देती है।

किनारों को सपनों कि तलाश इशारा दिलाती है नजारों कि पहचान अक्सर अफसाना सुनाती है अदाओं कि परख से जज्बातों कि सुबह दास्तान देती है।

किनारों को सपनों कि आस सरगम दिलाती है दिशाओं कि सौगात अक्सर खयाल सुनाती है तरानों कि पहचान से लहरों कि पुकार दास्तान देती है।

किनारों को सपनों कि सुबह परख दिलाती है इशारों कि अहमियत अक्सर आस सुनाती है बदलावों कि कोशिश से लम्हों कि आस दास्तान देती है।

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