Tuesday 8 November 2022

कविता. ४६१९. उम्मीद को आवाजों कि।

                                   उम्मीद को आवाजों कि।

उम्मीद को आवाजों कि सौगात सरगम सुनाती है किनारों संग सपनों कि कोशिश अरमान दिलाती है अदाओं कि पहचान सहारे देकर चलती है।

उम्मीद को आवाजों कि आस सुबह सुनाती है लम्हों संग आशाओं कि सौगात तलाश दिलाती है लहरों कि अहमियत सहारे देकर चलती है।

उम्मीद को आवाजों कि राह अल्फाज सुनाती है नजारों संग आवाजों कि धून पुकार दिलाती है आशाओं कि सरगम सहारे देकर चलती है।

उम्मीद को आवाजों कि कोशिश बदलाव सुनाती है इशारों संग खयालों कि समझ सपना दिलाती है जज्बातों कि सोच सहारे देकर चलती है।

उम्मीद को आवाजों कि परख अफसाना सुनाती है तरानों संग अदाओं कि सौगात पहचान दिलाती है उजालों कि राह सहारे देकर चलती है।

उम्मीद को आवाजों कि अदा इशारा सुनाती है खयालों संग उजालों कि राह अरमान दिलाती है दास्तानों कि पुकार सहारे देकर चलती है।

उम्मीद को आवाजों कि मुस्कान खयाल सुनाती है सपनों संग नजारों कि सोच कोशिश दिलाती है तरानों कि सुबह सहारे देकर चलती है।

उम्मीद को आवाजों कि रोशनी तलाश सुनाती है लहरों संग एहसासों कि समझ सपना दिलाती है इरादों कि सौगात सहारे देकर चलती है।

उम्मीद को आवाजों कि सरगम पुकार सुनाती है इशारों संग खयालों कि सोच आवाज दिलाती है अरमानों कि परख सहारे देकर चलती है।

उम्मीद को आवाजों कि आस कोशिश सुनाती है बदलावों संग उजालों कि सुबह अदा दिलाती है अफसानों कि समझ सहारे देकर चलती है।

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