Tuesday 15 November 2022

कविता. ४६२६. किनारों को सपनों कि।

                                      किनारों को सपनों कि।

किनारों को सपनों कि लहर अरमान जगाती है आशाओं कि सरगम से अंदाजों कि आस अल्फाज सुनाती है राहों कि कोशिश अहमियत देती है।

किनारों को सपनों कि राह मुस्कान जगाती है खयालों कि समझ से आशाओं कि सरगम तलाश सुनाती है लम्हों कि पुकार अहमियत देती है।

किनारों को सपनों कि आस सौगात जगाती है अरमानों कि पुकार से आवाजों कि धून दास्तान सुनाती है तरानों कि पहचान अहमियत देती है।

किनारों को सपनों कि रोशनी बदलाव जगाती है अदाओं कि परख से जज्बातों कि सोच अफसाना सुनाती है इशारों कि सुबह अहमियत देती है।

किनारों को सपनों कि सरगम सपना जगाती है नजारों कि कोशिश से लम्हों कि आहट पहचान सुनाती है आशाओं कि आस अहमियत देती है।

किनारों को सपनों कि सुबह आवाज जगाती है उजालों कि राह से उम्मीदों कि कोशिश बदलाव सुनाती है खयालों कि समझ अहमियत देती है।

किनारों को सपनों कि कोशिश अंदाज जगाती है इशारों कि पुकार से दिशाओं कि समझ नजारा सुनाती है लहरों कि रोशनी अहमियत देती है।

किनारों को सपनों कि तलाश इशारा जगाती है कदमों कि आहट से अरमानों कि पुकार समझ सुनाती है जज्बातों कि सोच अहमियत देती है।

किनारों को सपनों कि सौगात अदा जगाती है दिशाओं कि कहानी से एहसासों कि सुबह तराना सुनाती है अंदाजों कि परख अहमियत देती है।

किनारों को सपनों कि परख रोशनी जगाती है बदलावों कि सोच से आवाजों कि सरगम पहचान सुनाती है दास्तानों कि मुस्कान अहमियत देती है।


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