Saturday 26 November 2022

कविता. ४६३७ सपनों कि आस अक्सर।

                                              सपनों कि आस अक्सर।

सपनों कि आस अक्सर आशाओं कि सरगम आवाज सुनाती है तरानों को अरमानों कि कोशिश सहारा देती है लम्हों को खयालों कि सौगात देती है।

सपनों कि आस अक्सर अंदाजों कि रोशनी किनारा सुनाती है जज्बातों को कदमों कि आहट अरमान देती है राहों को दास्तानों कि सौगात देती है।

सपनों कि आस अक्सर दिशाओं कि समझ तलाश सुनाती है आशाओं को बदलावों कि सोच सुबह देती है उजालों को किनारों कि सौगात देती है।

सपनों कि आस अक्सर दास्तानों कि परख अफसाना सुनाती है इशारों को उम्मीदों कि आवाज सरगम देती है खयालों को अदाओं कि सौगात देती है।

सपनों कि आस अक्सर तरानों कि सुबह अल्फाज सुनाती है लहरों को इशारों कि सोच खयाल देती है आशाओं को बदलावों कि सौगात देती है।

सपनों कि आस अक्सर दास्तानों कि राह आवाज सुनाती है लम्हों को नजारों कि पहचान परख देती है किनारों को अंदाजों कि सौगात देती है।

सपनों कि आस अक्सर उजालों कि उमंग एहसास सुनाती है कदमों को तरानों कि पुकार कोशिश देती है नजारों को अदाओं कि सौगात देती है।

सपनों कि आस अक्सर इरादों कि पुकार अल्फाज सुनाती है जज्बातों को दास्तानों कि सोच किनारा देती है आवाजों को कदमों कि सौगात देती है।

सपनों कि आस अक्सर अफसानों कि सोच अरमान सुनाती है इरादों को आशाओं कि मुस्कान सरगम देती है अंदाजों को बदलावों कि सौगात देती है।

सपनों कि आस अक्सर जज्बातों कि तलाश पहचान सुनाती है लहरों को इशारों कि सुबह दास्तान देती है उम्मीदों को अफसानों कि सौगात देती है।

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