Sunday 6 November 2022

कविता. ४६१७. दिशाओं को कदमों कि।

                                        दिशाओं को कदमों कि।

दिशाओं को कदमों कि सोच अरमान दिलाती है लम्हों को खयालों कि कोशिश राह सुनाती है किनारों से आशाओं कि सरगम सौगात देती है।

दिशाओं को कदमों कि आस अल्फाज दिलाती है लहरों को इशारों कि रोशनी पहचान सुनाती है नजारों से लम्हों कि आहट सौगात देती है।

दिशाओं को कदमों कि आहट किनारा दिलाती है सपनों को एहसासों कि समझ सुबह सुनाती है जज्बातों से उजालों कि राह सौगात देती है।

दिशाओं को कदमों कि परख रोशनी दिलाती है अफसानों को दास्तानों कि पुकार सरगम सुनाती है बदलावों से आवाजों कि धून सौगात देती है।

दिशाओं को कदमों कि राह सुबह दिलाती है नजारों को इरादों कि परख कोशिश सुनाती है अरमानों से उम्मीदों कि अहमियत सौगात देती है।

दिशाओं को कदमों कि समझ इशारा दिलाती है एहसासों को अदाओं कि आस सपना सुनाती है अंदाजों से लम्हों कि मुस्कान सौगात देती है।

दिशाओं को कदमों कि आवाज पहचान दिलाती है अदाओं को तरानों कि पहचान बदलाव सुनाती है लहरों से खयालों कि पुकार सौगात देती है।

दिशाओं को कदमों कि सरगम उमंग दिलाती है लम्हों को अल्फाजों कि मुस्कान सुबह सुनाती है आशाओं से जज्बातों कि तलाश सौगात देती है।

दिशाओं को कदमों कि उम्मीद दास्तान दिलाती है आवाजों को किनारों कि सोच अरमान सुनाती है अंदाजों से लहरों कि सरगम सौगात देती है।

दिशाओं को कदमों कि तलाश आस दिलाती है अफसानों को अंदाजों कि आस सरगम सुनाती है नजारों से उजालों कि कोशिश सौगात देती है।

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